नियमविरुद्ध छंटनी करने से हटाए गए कर्मचारियों के सामने पैदा हुआ आर्थिक संकट
लखनऊ उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन निविदा/संविदा कर्मचारी संघ लखनऊ द्वारा श्रृंगार नगर बारात घर आलमबाग लखनऊ में बिजली आउटसोर्स कर्मचारियों कि ज्वलंत समस्याओं एवं अध्यक्ष पावर कॉरपोरेशन द्वारा मानक समिति का रिपोर्ट उपलब्ध न कराने के सम्बन्ध में प्रेस वार्ता की गई। लगभग 25000 आउटसोर्स कर्मचारियों का नियमविरुद्ध छंटनी करने से हटाए गए कर्मचारियों के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है ।
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद खालिद ने कहा की पावर कार्पोरेशन प्रबंधन द्वारा पावर कॉरपोरेशन के घाटे को कम करने के लिए वर्ष 2017 के अपने स्वयं के आदेश का उल्लंघन कर 33/11 के वी विद्युत उपकेन्द्रो के परिचालन व अनुरक्षण कार्य में तैनात लगभग 25000 बिजली आउटसोर्स कर्मचारियों को कार्य से हटा दिया गय है। कर्मचारियों कि कमी होने के कारण अधिकारियों द्वारा अकुशल कर्मचारियों से लाइन का कार्य कराया जा रहा है जिससे हटाए गए कर्मचारियों के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है । अनुभवी कर्मचारियों को 55 वर्ष का हवाला देकर कार्य से हटाने के कारण बिजली संकट उत्पन्न हुआ।
प्रदेश संगठन मंत्री रण बहादुर सिंह यादव ने कहा कि पावर कार्पोरेशन प्रबन्धन द्वारा 55 वर्ष का हवाला देकर अनुभवी कर्मचारियों को कार्य से हटा दिया गया है जिससे जहां एक तरफ बिजली संकट उत्पन्न हो गया है वहीं दूसरी तरफ हटाए गए कर्मचारियों के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। पावर कार्पोरेशन का घाटा कम करने के नाम सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा रहा है।
प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेन्द्र पाण्डेय ने कहा कि अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन के इसारे पर MD मध्यांचल रिया केजरीवाल द्वारा पूर्व MD मध्यांचल भवानी सिंह खंगरौत के 6 फरवरी 2025 के आदेश का उलंघन कर मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के अंतर्गत आने वाले भिन्न-भिन्न जनपदों से लगभग 9000 कर्मचारियों को कार्य से हटा दिया गया तथा बाराबंकी जिले में लगभग 4 करोड़ वार्षिक बचत करने के उद्देश्य से 350 कर्मचारियों को कार्य से हटा दिया गया एवं हटाए गए कर्मचारियो के कारण उत्पन्न बिजली संकट से निपटने के लिए पावर कॉरपोरेशन प्रबन्धन द्वारा लगभग रुपया 16 करोड़ (जिसमें 2 करोड़ रुपया G S T सामिल नहीं है) वार्षिक कि L O I जारी कर सरकारी पैसे का दुरुपयोग किया जा रहा है। ऐसे में ये सवाल पैदा होता है कि पावर कार्पोरेशन प्रबन्धन द्वारा किस हितलाभ हेतु ऐसा किया गया जिसकी जांच होनी चाहिए। पावर कार्पोरेशन प्रबन्धन द्वारा उर्जा मंत्री ए के शर्मा के निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है।
प्रदेश संयुक्त मंत्री रमेश चन्द्र राजपूत ने कहा कि दिनांक 21 सितम्बर 2024 को उर्जा मंत्री ए के शर्मा जी व संगठन पदाधिकारियों के बीच हुई बैठक वार्ता में माननीय उर्जा मंत्री द्वारा अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन को पत्र लिखकर मार्च 2023 में हटाए गए कर्मचारियों को कार्य पर वापस लेते हुए संगठन द्वारा उठाईं जा रही समस्याओं का समाधान करने हेतु निर्देशित किया गया था जिसका पालन पावर कार्पोरेशन प्रबन्धन द्वारा आज तक नहीं किया गया। अध्यक्ष पावर कॉरपोरेशन की उपस्थिति में पावर कार्पोरेशन प्रबन्धन व संगठन पदाधिकारियों के बीच हुई वार्ता बैठक में बनी सहमति का पालन पावर कार्पोरेशन प्रबन्धन द्वारा नहीं किया जा रहा है।
प्रदेश महामंत्री देवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने कहा कि दिनांक 23 मई 2025 को अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन की उपस्थिति में पावर कार्पोरेशन प्रबन्धन व संगठन पदाधिकारियों के बीच हुई बैठक वार्ता में यह सहमति बनी थी कि 33/11 के वी विद्युत उपकेन्द्रो के परिचालक व अनुरक्षण कार्य हेतु कर्मचारियों का मानक निर्धारित करने के लिए समिति का गठन किया गया है तथा समिति के रिपोर्ट के आधार पर कर्मचारियों को तैनात किया जाएगा एवं 4 सितम्बर 2025 को अध्यक्ष पावर कॉरपोरेशन द्वारा 15 दिन के अंदर समिति की रिपोर्ट उपलब्ध कराने कि बात कही गई थी लेकिन आज तक न तो समिति कि रिपोर्ट उपलब्ध कराईं गई और ना ही हटाए गए कर्मचारियों को कार्य पर वापस लिया गया।
जिसके सम्बन्ध में संगठन द्वारा माननीय ऊर्जा मंत्री एके शर्मा को भी अवगत करा दिया गया है। वर्टिकल व्यवस्था लागू करने से उपभोक्ताओं को बिजली संकट का सामना करना पड़ेगा।
पूर्वांचल उपाध्यक्ष नकुल चौधरी ने कहा कि वर्तमान व्यवस्था में उपभोक्ताओं को छोटे छोटे क्षेत्रों में बांट कर बिजली आपूर्ति किया जाता है जिससे कर्मचारियों को उपभोक्ताओं के शिकायतों का निस्तारण करने में कम समय लगता है जिससे उपभोक्ताओं को निर्वाद विद्युत आपूर्ति होती है जबकि वर्टिकल व्यवस्था लागू होने पर वर्टिकल व्यवस्था में कई छोटे छोटे क्षेत्रों को मिलाकर एक बड़ा क्षेत्र बनाया जाता है जिससे कर्मचारियों को उपभोक्ताओं कि शिकायतों का निस्तारण करने में अधिक समय लगता है जिससे उपभोक्ताओं को निर्वाद विद्युत आपूर्ति नहीं होती है। आउटसोर्स निगम बनाने से आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण बढ़ेगा।
मध्यांचल अध्यक्ष अरविंद श्रीवास्तव ने कहा कि आउटसोर्स निगम बनाने से आउटसोर्स कर्मचारियों के शोषण में वृद्धि होगी उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को भिन्न-भिन्न विभागों कि नितियों जैसे मस्टरोल, संविदा आदि के तहत आउटसोर्स कर्मचारियों को समायोजित कर कार्य कराया जाना चाहिए जिससे आउटसोर्स कर्मचारियों को न्याय मिल सके।
ऐसा करने से न केवल आउटसोर्स कर्मचारियों के शोषण पर रोक लगेगी बल्कि सरकार पर पड़ने वाले आर्थिक भार से भी बचा जा सकता है। प्रेस वार्ता में उपस्थित कार्यकारिणी सदस्य सुरेंद्र बाजपेई, मध्यांचल महामंत्री अरुण यादव सहित कई जिले के जिला कार्यकारिणी के पदाधिकारियों ने भाग लिया।
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